हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा ए इल्मिया नजफ अशरफ के प्रसिद्द शिया धर्मगुरु आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो लोग शरई अहकाम मे दिल चस्पी रखते है हम उनके लिए पुछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ बयान कर रहे हैं।
सवाल: क्या ज़रूरी है कि चाँद मुजर्रद आंख से देखा जाए या मुसल्लह आंख से भी देख सकते हैं ?
जवाब: बिस्मेही सुबह़ानहु : अगर मुसल्लह आंख से मुराद यह है कि पहले किसी आले के साथ चाँद की जगह को मुअय्यन किया जाए और उस के बाद मुजर्रद आंख से चाँद को देखा जाए तो यह काफ़ी है और अगर मुजर्रद आंख से नहीं देखा जा सकता तो यह काफ़ी नहीं होगा,वल्लाहोआलिम।